DIgital marketing

डिजिटल मार्केटिंग के लिए कितनी ज़रूरी है अंग्रेज़ी

आज का युग इंटरनेट का युग है। आज हरेक इंसान के पास 24 घंटे इंटरनेट मौजूद है, जिसके ज़रिए वो लाखों-करोड़ों लोगों से कम्युनिकेशन करता है, उनके बीच अपनी ऑनलाइन पहचान बनाता है, अपना कंटेंट, अपना प्रोडक्ट और अपनी सर्विस देश-दुनिया के तमाम लोगों तक पहुँचाता है। अपनी इस ऑनलाइन पहचान को और विस्तार देने के उद्देश्य से वो आज इंटरनेट के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म यानी कि ‘डिजिटल मार्केटिंग’ का बहुतायत में प्रयोग कर रहा है। और इंटरनेट के प्रति लोगों की यही दिलचस्पी देखते हुए आज दुनिया की तमाम कंपनियां भी अपने बिजनेस के प्रचार-प्रसार के लिए डिजिटल मार्केटिंग को अपना रही है।
 
सूचना प्रसार के लिए इन्टरनेट के प्रयोग को हम ‘डिजिटल’ कहेंगे और टारगेट ऑडियंस तक अपनी जानकारी पहुँचाने को ‘मार्केटिंग’।
 
इस तरह अपने व्यवसाय एवं सेवाओं को इन्टरनेट के ज़रिए ‘टारगेट ऑडियंस’ के समक्ष प्रस्तुत करने की प्रक्रिया को ही ‘डिजिटल मार्केटिंग’ कहते हैं। लेकिन आज के वक्त में डिजिटल मार्केटिंग को लेकर कहीं न कहीं लोगों के बीच में ये भ्रम व्याप्त है कि इसके लिए उन्हें अंग्रेज़ी भाषा का ज्ञान होना काफी ज़रूरी है, वरना इस ऑनलाइन मार्केट में वो ज़्यादा दिनों तक टिक नहीं पाएँगे जबकि शोध बताते हैं कि, इंटरनेट के इस्तेमाल के वक्त 10 में से करीब 9 यूज़र्स अंग्रेज़ी की जगह अपनी मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा का इस्तेमाल करते हैं।
2011 की जनगणना के अनुसार, हमारे देश की आबादी लगभग 121 करोड़ है, और इस आबादी का करीब आधे से ज़्यादा हिस्सा अपनी प्रांतीय या स्थानीय भाषा में ही डिजिटली खुद को अभिव्यक्त करता है।
 
यूट्यूब पर भी 95 प्रतिशत लोग अपनी स्थानीय भाषा का इस्तेमाल करते हैं।
गूगल के अनुसार, हिन्दी या अन्य स्थानीय भाषा में सामग्री पढ़ने वाले हर वर्ष 94% बढ़ रहे हैं, जबकि अंग्रेजी में मात्र 17% है। गूगल अन्य भाषाओं के साथ हिंदी, गुजराती, मराठी, बंगाली और तमिल जैसी भाषाओं को भी सपोर्ट कर रहा है। 
 
 
 
74% साक्षरों में से केवल 10% लोग अंग्रेजी पढ़ते हैं, जबकि बाकी लोग स्थानीय भाषा में कन्टेन्ट का कंजम्पशन करते हैं। 
सोशल मीडिया के बाजार में भी आज कई ऐसे मंच हैं, जो अपनी प्रांतीय या क्षेत्रीय भाषा में लिख, बोल, पढ़कर अच्छा कमा रहे है। सोशल मीडिया से आप अपने ब्रांड का प्रमोशन भी कर सकते हैं।

और ये तो हम जानते ही है कि भारत की अधिकतर आबादी हिंदी में ही अपने विचारों का आदान-प्रदान करती है। आज फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप्प पर अंग्रेजी में लिखे गये पोस्ट या टिप्पणियों की भीड़ में हिंदी में लिखी गई पोस्ट व टिप्पणियाँ यूज़र्स को ज्यादा आकर्षित करती हैं।
किसी भी मल्टीनेशनल कंपनी या देश के लिए अपने प्रोडक्ट को बेचने और आम आदमी तक पहुँचाने के लिए जनभाषा ही सबसे सशक्त माध्यम है। और आज देश-विदेश की कई कंपनियां अपने ग्राहकों से उनकी भाषा में ही कम्युनिकेशन कर व्यापारिक संबंध स्थापित कर रही है।

अगर आपको इन बातों का ज्ञान है कि, कौनसा कंटेंट कब और कैसे डालना है, किस डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर डालना है, उस कंटेंट को क्रिएटिव कैसे दिखाना है, टारगेट ऑडियंस तक कैसे पहुँचाना है तो किसी भी भाषा के ज्ञान का अभाव आपको डिजिटल मार्केटिंग करने से नहीं रोक सकता।
ये सब बातें साबित करती है कि डिजिटल मार्केटिंग किसी एक विशेष भाषा पे आधारित नहीं है, इसमें टारगेट ऑडियंस को ध्यान में रखकर ही विपणन और विज्ञापन की रणनीतियों को तैयार किया जाता है, न कि किसी विशेष भाषा को ध्यान में रखकर! 

इन्टरनेट संभावित कंज़्यूमर्स का भंडार है। डिजिटल मार्केटिंग के ज़रिए आपका विज्ञापन जितने अधिक से अधिक लोगों पहुँचेगा आपकी सफलता की प्रायिकता उतनी ही बढ़ती जाएगी।

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